दुखहर्ता बनके,
सुखकर्ता बनके,
चले आना,
गणपति चले आना ॥
तुम विघ्न विनाशक आना,
तुम विघ्न विनाशक आना,
इक्छा पूरी करो,
हाथ सर पे धरो,
चले आना,
गणपति चले आना,
दुख हर्ता बनके,
सुखकर्ता बनके,
चले आना,
गणपति चले आना ॥
तुम अष्टविनायक आना,
तुम अष्टविनायक आना,
मोदक हाथ लेके,
खुशियां साथ लेके,
चले आना,
गणपति चले आना,
दुख हर्ता बनके,
सुखकर्ता बनके,
चले आना,
गणपति चले आना ॥
तुम भाग्य विधाता आना,
तुम भाग्य विधाता आना,
रिद्धि साथ लेके,
सिद्धि साथ लेके,
चले आना,
गणपति चले आना,
दुख हर्ता बनके,
सुखकर्ता बनके,
चले आना,
गणपति चले आना ॥
तुम गौरी नन्दन आना,
तुम गौरी नन्दन आना,
वर्षा दया की करो,
दुःख सबके हरो,
चले आना,
गणपति चले आना,
दुखहर्ता बनके,
सुखकर्ता बनके,
चले आना,
गणपति चले आना ॥
तुम मंगल मूरत आना,
तुम मंगल मूरत आना,
आस तोड़े नहीं,
साथ छोड़ो नहीं,
चले आना,
गणपति चले आना,
दुखहर्ता बनके,
सुखकर्ता बनके,
चले आना,
गणपति चले आना ॥
नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब प्रह्लाद भगवान विष्णु की स्तुति गाने के लिए अपने पिता हिरण्यकश्यप के सामने अड़ गए, तो हिरण्यकश्यप ने भगवान हरि के भक्त प्रह्लाद को आठ दिनों तक यातनाएं दीं।
होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।
हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।