माघ पूर्णिमा पूजा विधि

Magh Purnima Puja: इस तरह करें माघ पूर्णिमा में पूजा, प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी 


हिंदू धर्म में, पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन जल और प्रकृति में एक अद्भुत ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो मानव जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 2025 और भी विशेष बन गई है। क्योंकि, इस तिथि में ही महाकुंभ का शाही स्नान भी होने वाला है। इस दिन जो व्यक्ति प्रयाग में माघ पूर्णिमा के समय संगम में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में माघ पूर्णिमा की पूजा विधि और महत्त्व के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


माघ पूर्णिमा पूजा विधि


  • सूर्योदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  • भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
  •  इसके बाद पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब प्रतिमा पर फूलमाला अर्पित करें और मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाएं।
  • इसके उपरांत देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। ध्यान रहे कि आरती करते समय विष्णु जी के मंत्रों का जाप और चालीसा का पाठ अवश्य करें।
  • साथ ही विधिपूर्वक व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  • अंत में फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • इसके अलावा जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति की कामना करें और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। 


जानिए माघ पूर्णिमा की तिथि और समय


  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ:- 11 फरवरी 2025, शाम 06:55 बजे।
  • पूर्णिमा तिथि समाप्ति:- 12 फरवरी 2025, शाम 07:22 बजे।
  • व्रत और पूजा तिथि:- उदयातिथि के अनुसार व्रत की तिथि 12 फरवरी 2025 होगी। 


जानिए माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व


पौराणिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन देवगण पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने आते हैं। इसलिए, इस दिन की गई पूजा, व्रत और दान का विशेष फल प्राप्त होता है। दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।


चंद्र देव की भी करें पूजा


पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की पूजा का भी विशेष विधान है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। मान्यता है कि चंद्रमा की शीतलता मन को शांत करती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।


माघ पूर्णिमा में बन रहा यह विशेष संयोग


इस बार माघ पूर्णिमा महाकुंभ में शाही स्नान के साथ आ रही है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस शुभ संयोग में स्नान और दान करने से व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होंगे। इस दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। वहीं, यदि आप पुण्य अर्जित करना चाहते हैं, तो माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान और भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें। भगवान विष्णु को इस तिथि पर विशेष रूप से पूजा जाता है क्योंकि यह शुभता और समृद्धि लाता है।


........................................................................................................
बिसर गई सब तात पराई (Bisar Gai Sab Taat Paraai)

बिसर गई सब तात पराई,
जब ते साध संगत मोहे पाई,

मंगल मूरति राम दुलारे(Mangal Murati Ram Dulare)

मंगल मूरति राम दुलारे,
आन पड़ा अब तेरे द्वारे,

साल में दो दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, जानिए स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के बारे में जो मनाते हैं अलग-अलग जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।

ना जाने आज क्यो फिर से, तुम्हारी याद आई है (Na Jaane Aaj Kyu Fir Se Tumhari Yaad Aayi Hai)

ना जाने आज क्यों फिर से,
तुम्हारी याद आई है ॥

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।