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मकर संक्रांति, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और तिल के लड्डू बनाने की प्रथा है। मकर संक्रांति पर अमूमन सभी घरों में तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। तिल इस दिन का मुख्य प्रसाद माना जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि इस दिन तिल का इतना ज्यादा महत्व क्यों है? और अधिकांश घरों में तिल के लड्डू क्यों बनाए जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के लड्डू धार्मिक, आध्यात्मिक और शारीरिक कारणों से बनाए जाते हैं। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के लड्डूओं का दान करना बेहद फलदायी होता है। वहीं, इसके पीछे के एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सूर्यदेव अपने पुत्र शनि से काफी क्रोधित हो गए थे। सूर्यदेव इतने क्रोधित हो गए थे कि उन्होंने अपने तेज से शनि देव का कुंभ राशि का घर तक भस्म कर दिया था। इसके बाद शनि देव ने अपने पिता से माफी मांगी। फिर जाकर भगवान सूर्य का क्रोध शांत हुआ। क्रोध शांत होने के बाद सूर्यदेव ने शनि देव से कहा कि जब भी उनका प्रवेश मकर राशि में होगा, तो वो घर धन-धान्य और खुशियों से भर जाएगा।
इसलिए, मकर राशि शनि देव का एक और अन्य घर माना जाता है। इसके बाद जब भगवान सूर्य शनि देव के घर में प्रवेश कर पहुंचे तो पुत्र शनि ने अपने पिता सूर्यदेव की तिल से पूजा की और उनका आतिथ्य किया। साथ ही शनि देव ने अपने पिता को तिल और गुड़ खाने के लिए दिया। दरअसल, शनिदेव का कुंभ वाला जो घर जल गया था, वहां सबकुछ जलकर खाक में तब्दील हो चुका था। परन्तु काला तिल जस का तस था। इसलिए, सूर्यदेव के घर पधारने के बाद शनि देव ने उनकी पूजा काले तिल से की थी। इससे सूर्यदेव काफी प्रसन्न हुए। तब से मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन जो तिल से सूर्यदेव की पूजा करेगा उसे सूर्यदेव का आशीर्वाद तो मिलेगा ही साथ ही शनिदेव का भी आशीर्वाद मिलेगा। यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन तिल के लड्डू बनाने और खाने की परंपरा है। और मकर संक्रांति पर तिल का विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू बनाने और खाने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि तिल के बीज पर भगवान यम का आशीर्वाद होता है। यही कारण है कि उन्हें 'अमरत्व के बीज' के रूप में माना जाता है। इसलिए, मकर संक्रांति के अवसर शनि या राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मंदिरों में काले तिल चढ़ाने की परंपरा है। इतना ही नहीं, इस दौरान गुड़ और सफेद तिल से बने तिल के लड्डू का सेवन भी करना चाहिए। क्योंकि, गुड़ भगवान सूर्य को अति प्रिय है। इसके अलावा, गुड़ व तिल की तासीर गर्म होती है। जो ठंड में स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत लाभदायक होता है। इन्हीं कारणों से इस मौके पर तिल के लड्डू खाने, बनाने और दान करने की प्रथा है।
मकर संक्रांति पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही उत्तरायण की शुरुआत होती है। इस दिन से शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। इसके अलावा मान्यता है कि संक्रांति के दिन तिल का दान अक्षय दान माना जाता है। इसलिए, इस दिन तिल के लड्डू खाने के साथ-साथ दान करने का भी काफी महत्व है।
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