Logo

पौष अमावस्या कब है

पौष अमावस्या कब है

Paush Amavasya 2024: दिसंबर में पौष अमावस्या कब है? जानिए मुहूर्त, नियम


सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इसलिए, इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। तो आइए इस लेख में पौष अमावस्या की तिथि, मुहूर्त और नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

कब है पौष अमावस्या?


सोमवार, 30 दिसंबर 2024

पौष कृष्ण अमावस्या का प्रारंभ प्रातः 04 बजकर 01 मिनट से होगा। वहीं, पौष कृष्ण अमावस्या की समाप्ति 31 दिसम्बर 2024 को 03 बजकर 56 मिनट पर होगी। 


पौष अमावस्या का शुभ मुहूर्त 


  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05:16  से 06:11 बजे तक
  • अभिजित मुहूर्त - पूर्वाह्न 11:54 से 12:35 बजे तक।
  • विजय मुहूर्त - अपराह्न 01:57  से 02:38 बजे तक। 


पौष अमावस्या का महत्व


  1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है।
  2. इस पावन तिथि पर पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शीवाद प्राप्त होता है।
  3. इस पावन दिन दान करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।


पौष अमावस्या पूजा-विधि


  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। 
  2. इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। 
  3. स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। 
  4. इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। 
  5. पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। 
  6. इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
  7. इस दिन विधि-विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।


पौष अमावस्या के दिन क्या करें ?


  1. पौष अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें। 
  2. तांबे के लोटे में जल भरकर और काला तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  3. अमावस्या के दिन मौन रहकर व्रत-उपवास करें।
  4. सोमवती अमावस्या के दिन दूध,शहद, दही, काला तिल, सफेद कपड़े और चीनी इत्यादि का दान कर सकते हैं।
  5. इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं।


पौष अमावस्या के दिन क्या ना करें?


  1. पौष अमावस्या के दिन क्रोध पर नियंत्रण रखें। किसी से व्यर्थ में वाद-विवाद नहीं करें।
  2. पौष अमावस्या के दिन मौन रहें और अपशब्दों का इस्तेमाल करने से बचें।
  3. इस दिन मांस-मदिरा समेत तामसिक भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
  4. अमावस्या के दिन तुलसी पर जल नहीं अर्पित करना चाहिए और न ही तुलसी को स्पर्श करें।
  5. अमावस्या के दिन फल और वस्त्रों का दान करना शुभ माना जाता है, लेकिन इस दिन अन्न का दान न करने की सलाह दी जाती है।
  6. इस दिन पाप कर्म जैसे चोरी करना, झूठ बोलना सहित अन्य गलत कार्यों से भी बचना चाहिए।

........................................................................................................
कालाष्टमी अप्रैल 2025 में कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है।

वरुथिनी एकादशी व्रत की कथा

हिंदू धर्म में एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है वरुथिनी एकादशी, जो वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।

अप्रैल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है

हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ बड़े श्रद्धा और पवित्र भाव के साथ मनाया जाता है। वैसे तो श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी भाद्रपद मास में मनाई जाती है, लेकिन हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में भी यह पर्व मनाया जाता है।

अप्रैल महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang