Logo

श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, गाजियाबाद (Shri Siddheshwar Mahadev Temple, Ghaziabad)

श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, गाजियाबाद (Shri Siddheshwar Mahadev Temple, Ghaziabad)

उज्जैन के महाकाल मंदिर से प्रेरित है गाजियाबाद का सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, भोलेनाथ पूरी करते हैं कामना 


गाजियाबाद के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मप्र की महाकाल नगरी उज्जैन के सिद्धेश्वर महादेव से प्रेरित यह मंदिर कवि नगर गाजियाबाद में स्थित है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि 6 महीने तक रोजाना श्री सिद्धेश्वर महादेव की प्रार्थना करने से भगवान भोलेनाथ सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते हैं। इस मंदिर का निर्माण कश्मीरी समाज के द्वारा बनी कमेटी ने सेंट्रल पार्क के निकट करवाया है। मंदिर समिति द्वारा विशेष मौकों, वार्षिक त्योहारों, शिवरात्रि व मासिक शिव तेरस को विशेष साज-सज्जा और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।


मंदिर की विशेषता 


यहां श्री बालाजी अखंड ज्योति 2006 से प्रज्वलित हो रही है। अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए इस मंदिर में देसी घी या तिल के तेल दान करने का नियम है। मंदिर में एक दिव्य और बहुत बड़ा शिवलिंग स्थापित है। यहां गोपीनाथ आश्रम भी कमेटी द्वारा हर महीने के पहले रविवार यज्ञ किया जाता है। मंदिर के सामने हरियाली भरा एक सुंदर पार्क भी मौजूद है। मंदिर में स्थापना दिवस, गोपीनाथ जी के जन्म दिवस और गोपीनाथ जी निर्वाणोत्सव के अवसर पर भंडारे कराए जाते हैं। सावन मास में यहां का भक्तिमय वातावरण अद्वितीय होता है। इन दिनों बड़ी संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु इस शिवालय में आते हैं। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि सावन मास में जो भक्तों पूरी श्रद्धा से यहां भगवान शिव की स्तुति, पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं, उन्हें मनवांछित फल प्राप्त होता है।


मंदिर का इतिहास 


यह मंदिर गाजियाबाद के सबसे प्रसिद्ध शिवालयों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि महादेव का यह मंदिर करीब 5000 साल पुराना है। इस मंदिर में हर समय एक धूनी जलती रहती है। पुराणों में इस मंदिर का वर्णन हिरण्यागर्भ ज्योतिर्लिंग के नाम से अंकित है। यह ज्योतिर्लिंग श्री राम के जन्म से भी पूर्व त्रेतायुग में स्थापित किया गया था।

यह शिवलिंग भूरे रंग के पत्थर से निर्मित है जिसे चारों ओर से संगमरमर से ढका गया है। मौजूदा मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण एक मराठा सिपाही ने करवाया था। जो भगवान शिव के परम भक्त थे। 


कथा यह भी है 


इस सिपाही को लेकर लोककथा प्रचलित है कि एक बार यह सिपाही जख्मी हालत में इस मंदिर में पहुंचा और अपने जीवन के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा। उसने मन ही मन प्रार्थना करते हुए भगवान से कहा कि अगर उसके प्राण बचे तो वह इस शिव मंदिर को फिर से बनवाएगा। भगवान की कृपा से उसका जीवन बच गया और उसने अपने वचन के अनुसार मंदिर का निर्माण करवाया।


मंदिर का समय

 

सुबह 5:00 से दोपहर 12:30 तक, 

शाम 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक 


कैसे पहुंचें 


E- ब्लाक कवि नगर गाजियाबाद में मौजूद इस मंदिर तक पहुंचने के लिए मेट्रो के जरिए शहीद स्थल और नई दिल्ली बस अड्डे से आया जा सकता है। वहीं मोती लाल नेहरू नगर, महाराणा प्रताप मार्ग, पंडित राजेन्द्र शर्मा मार्ग भी इस इलाके से सीधे जुड़े हुए हैं।


........................................................................................................
यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang