होलाष्टक का समय फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से पूर्णिमा (होलिका दहन) तक रहता है। यह अवधि अशुभ मानी जाती है, इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। लेकिन इस दौरान पूजा-पाठ, मंत्र जाप और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि इन आठ दिनों में विशेष देवी-देवताओं की पूजा की जाए, तो व्यक्ति को सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। आइए जानते हैं कि होलाष्टक में किन देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
होलाष्टक के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विष्णु जी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि किसी व्यक्ति के जीवन में कोई परेशानी चल रही है, तो इस पूजा से राहत मिल सकती है।
पूजा विधि:
हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। जो लोग कोर्ट-कचहरी, नौकरी या स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए हनुमान जी की पूजा करना विशेष फलदायी हो सकता है।
पूजा विधि:
भगवान नरसिंह भगवान विष्णु का अवतार हैं। उन्होंने होलिका दहन के दिन अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी। इसलिए, होलाष्टक के दौरान भगवान नरसिंह की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
पूजा विधि:
होलाष्टक के दौरान माता दुर्गा की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है। यदि कोई मानसिक तनाव या भय से गुजर रहा है, तो दुर्गा सप्तशती का पाठ लाभकारी होगा।
पूजा विधि:
भगवान शिव की पूजा से जीवन में शांति और स्थिरता आती है। होलाष्टक के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करने से विशेष लाभ होता है।
पूजा विधि:
पौराणिक कथाओं में जहां भी मां लक्ष्मी का वर्णन है वहां श्री हरि विष्णु जी का जिक्र अवश्य होता है। ये दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ ही पूजे जाते हैं।
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विशेष तौर पर मनाया जाने वाला छठ पर्व कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस व्रत की पहली शर्त 36 घंटे लंबा निर्जला उपवास रखना होती है।
छठ पूजा बिहार और इसके आस पास के क्षेत्र का प्रमुख पर्व है और काफी धूमधाम से इसे मनाया जाता है। इसमें सूर्यदेव और उनकी बहन छठी मईया की आराधना की जाती है।
छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू महापर्व है। जिसे मुख्य रूप से बिहार, झारखंड पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।