Logo

कुंभ संक्रांति पूजा-विधि और नियम

कुंभ संक्रांति पूजा-विधि और नियम

क्या है कुंभ संक्रांति की पूजा विधि और यम नियम? जानिए कैसे प्रसन्न होंगे भगवान 


जिस तरह सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश से मकर संक्रांति मनाई जाती है। उसी तरह जिस दिन सूर्यदेव कुंभ राशि में प्रवेश कर सकते हैं, वह दिन कुंभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इसलिए, प्रति वर्ष मकर संक्रांति के बाद कुंभ संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसी समय से मौसम में भी बदलाव शुरू होता है। इस दिन स्नान-दान और सूर्यदेव की पूजा करना भी विशेष फलदायी माना जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में कुंभ संक्रांति की पूजाविधि और नियम के बारे में जानते हैं। 

कब मनाई जाएगी कुंभ संक्रांति? 


द्रिक पंचांग के अनुसार,12 फरवरी को रात 10 बजकर 04 मिनट पर सूर्यदेव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए 12 फरवरी 2025 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 13 फरवरी को कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी

कुंभ संक्रांति पूजा-विधि


  • कुंभ संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठें। 
  • यदि संभव हो, तो पवित्र नदी में स्नान करें या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। 
  • इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें। 
  • साथ ही सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें। 
  • अब सूर्य चालीसा का पाठ करें। 
  • इसके उपरांत ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों का अनाज, तिल,गर्म कपड़े, गुड़ इत्यादि का दान दें। 

कुंभ संक्रांति का पुण्य काल और महा पुण्य काल

  
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कुंभ संक्रांति पर पुण्य काल दोपहर 12:36 बजे से लेकर शाम 6:10 बजे तक रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल दोपहर 4:19 बजे से शाम 6:10 बजे तक होगा। इस प्रकार, पुण्य काल की अवधि 5 घंटे 34 मिनट और महा पुण्य काल की अवधि 2 घंटे 51 मिनट होगी।

जानिए कुंभ संक्रांति का शुभ योग


कुंभ संक्रांति के अवसर पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही अश्लेषा और मघा नक्षत्र का भी संयोग है, साथ ही शिववास योग भी उपस्थित है। इन योगों में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को उनकी इच्छित फल की प्राप्ति होगी। इस दिन पितरों की पूजा एवं तर्पण भी किया जा सकता है। 

कुंभ संक्रांति पूजा नियम


  • कुंभ संक्रांति के दिन जो लोग स्नान के लिए पवित्र नदी नहीं जा सकते हैं, वे घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
  • साफ कपड़े धारण करें।
  • सूर्य देव को जल चढ़ाएं और उनके मंत्रों का भाव के साथ जाप करें।
  • गरीबों की मदद करें और उन्हें भोजन खिलाएं।
  • कुंभ संक्रांति के दिन गायों को चारा अवश्य खिलाएं।
  • धार्मिक स्थान पर दर्शन के लिए जाएं।
  • ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े और अन्य जरूरतों की चीजें दान दें।

........................................................................................................
मासिक शिवरात्रि: भगवान शिव नमस्काराथा मंत्र

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। नवंबर माह की शिवरात्रि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ती है, और यह दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर है।

मासिक शिवरात्रि में ऐसे करें भोलेनाथ की पूजा

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।

मासिक शिवरात्रि शिव तांडव स्तोत्र

वैदिक ज्योतिष में मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा पाने का विशेष अवसर माना गया है। इस दिन भक्त अपने-अपने तरीके से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और शिवजी को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang