मौनी अमावस्या पर मौन रहने का नियम है। सनातन धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। ऐसी मान्यता है कि सुबह मौन रहकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं। आइए जानते हैं इस दिन क्या है मौन व्रत रखने की वजह? और उसके लाभ
इस साल माघ माह के अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में मौनी अमावस्या 29 जनवरी को मनाई जाएगी।
मौनी अमावस्या पर मौन का बहुत महत्व माना जाता है। अमावस्या के दिन चंद्रमा न दिखाई देने पर इस दिन मौन व्रत रखने से मन और वाणी को शुद्धि मिलती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत रखने से व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, साथ ही सभी इच्छाएं भी पूरी हो सकती हैं। इस अवसर पर अनेक लोग मौन धारण कर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करते हैं।
कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।
हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,
नमामी राधे नमामी कृष्णम,
नमो नमो नमो नमो ॥
श्लोक – सतसाँच श्री निवास,
मैंने पाया नशा है,
मेरा बस तुझमे,