होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
ब्रज की होली का धार्मिक महत्व ब्रज की होली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण ने अपनी मां यशोदा से पूछा कि राधा और गोपियां इतनी गोरी क्यों हैं, तो उन्होंने कृष्ण को रंगों से खेलने की सलाह दी। इसी से ब्रज में रंगों की होली की परंपरा शुरू हुई। इसके अलावा, भक्त प्रहलाद और होलिका दहन की कथा भी इस पर्व से जुड़ी हुई है, जिसे श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।
ब्रज में होली के अनोखे रूप ब्रज की होली केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे अलग-अलग परंपराओं के माध्यम से मनाया जाता है:
शबरी तुम्हरी बाट निहारे,
वो तो रामा रामा पुकारे,
सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हे,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,
सबसे पहला मनावा,
थाने देवा रा सरदार,
सबसे पहले मनाऊँ गणराज,
गजानंद आ जइयो,