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गंगा दशहरा पर पितरों के मोक्ष के लिए उपाय

गंगा दशहरा पर पितरों के मोक्ष के लिए उपाय

Ganga Dussehra Upay: गंगा दशहरा पितरों के मोक्ष और शांति के लिए करें ये काम, मिलेगा आशीर्वाद

गंगा दशहरा, जिसे ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाता है, हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और पुण्यदायक पर्व है। इस दिन का महत्व केवल मां गंगा के धरती पर अवतरण के कारण ही नहीं है, बल्कि यह दिन पितरों के मोक्ष और आत्मिक शांति के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है। गंगा दशहरा पर विशेष रूप से पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए ये सभी कर्म पितरों को शांति प्रदान करते हैं। इस वर्ष गंगा दशहरा 5 जून को मनाया जाएगा।

गंगा स्नान से मिलती है पितरों को शांति

गंगा दशहरा पर गंगा नदी में स्नान करना परम पुण्यकारी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगाजल में स्नान करने से न केवल साधक के पापों का नाश होता है, बल्कि पितरों की आत्मा को भी शांति प्राप्त होती है। यदि आप गंगा नदी के पास नहीं हैं, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करना भी उतना ही फलदायक माना गया है।

जल अर्पण से मिलती है कृपा

गंगा दशहरा पर पितृ तर्पण करने का विशेष विधान है। एक बाल्टी जल में गंगाजल मिलाएं, फिर स्नान के बाद काले तिल, सफेद फूल और कुशा लेकर पितरों का ध्यान करें। मंत्रों के साथ जल अर्पित करें और उनके नाम का उच्चारण करते हुए तर्पण करें। यह कार्य पितरों की आत्मा को प्रसन्न करता है और इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितरों के नाम पर किया गया दान देता है पुण्य

गंगा दशहरा पर पितरों की याद में वस्त्र, अन्न, फल, जल पात्र, पंखा और शरबत का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है। विशेषकर ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना पितृ संतोष का प्रमुख साधन है। यह उनके अधूरे कर्मों को पूर्ण करता है और इससे वंशजों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दीपदान से आत्मा को मिलता है मार्ग

पितरों के नाम से जलाया गया दीपक उन्हें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गंगा दशहरा की रात तुलसी के नीचे या नदी किनारे दीपक जलाकर पितरों का स्मरण करने से उनकी आत्मा को दिव्य गति मिलती है।

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