Logo

परशुराम जयंती 2025 तिथि

परशुराम जयंती 2025 तिथि

Parshuram Jayanti 2025 Date: परशुराम जयंती 2025 में कब मनाई जाएगी, जानें सही तिथि, मुहूर्त और संयोग


परशुराम जयंती, भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है, जिसे अक्षय तृतीया भी कहा जाता है और अक्षय तृतीया के साथ इसका संयोग इस दिन को और भी शुभ बनाता है। इस दिन भक्त भगवान परशुराम की पूजा करके उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।

प्रदोष काल में मनाया जाता है परशुराम जयंती का उत्सव

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस वर्ष परशुराम जयंती मंगलवार, 29 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे से शुरू होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 बजे पर तृतीया तिथि समाप्त होगी। साथ ही, परशुराम जयंती का उत्सव तृतीया तिथि के प्रदोष काल में मनाया जाएगा, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म इसी समय हुआ था।

मंदिरों में होता भजन और कीर्तन का आयोजन 

सभी भक्त इस दिन विशेष रूप से उपवास रखते हैं और भगवान परशुराम की कृपा प्राप्त करने के लिए ध्यान करते हैं।
इस दिन विशेष पूजा, हवन और मंत्रों के उच्चारण के माध्यम से भगवान परशुराम की आराधना की जाती है।
साथ ही, मंदिरों में भजन, कीर्तन, और प्रवचन भी आयोजित किए जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

भगवान परशुराम लेंगे कलयुग में अवतार

हिंदू धर्म में भगवान परशुराम को एक चिरंजीवी माना जाता है, जो कलयुग के अंत में भगवान कल्कि के गुरु बनेंगे। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, उनका जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। उन्होंने पृथ्वी पर अधर्म और अन्याय के खिलाफ युद्ध किया था। साथ ही, क्षत्रियों के अत्याचारों का अंत किया। उन्होंने धर्म की रक्षा की थी, इसलिए उन्हें धर्म के रक्षक के रूप में पूजा जाता है।

अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती का संयोग 

अक्षय तृतीया, जिसे ‘अखा तीज’ भी कहा जाता है, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है और नए कार्यों की शुरुआत, सोना खरीदने, और दान-पुण्य के लिए उपयुक्त होता है। 

........................................................................................................
कैसी लीला रचाई जी हनुमत बालाजी: भजन (Kaisi Leela Rachai Ji Hanumat Balaji)

कैसी लीला रचाई जी,
के हनुमत बालाजी,

कैसी यह देर लगाई दुर्गे... (Kaisi Yeh Der Lagayi Durge)

कैसी यह देर लगाई दुर्गे, हे मात मेरी हे मात मेरी।
भव सागर में घिरा पड़ा हूँ, काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ।

काली काली अलको के फंदे क्यूँ डाले - भजन (Kali Kali Alko Ke Fande Kyun Dale)

काली काली अलको के फंदे क्यूँ डाले,
हमें जिन्दा रहने दे ऐ मुरली वाले ॥

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang